8.3.86 |
अभिनिसः स्तनः शब्दसंज्ञायाम् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.86 |
8.3.87 |
उपसर्गप्रादुर्भ्यामस्तिर्यच्परः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.87 |
8.3.88 |
सुविनिर्दुर्भ्यः सुपिसूतिसमाः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.88 |
8.3.89 |
निनदीभ्यां स्नातेः कौशले | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.89 |
8.3.9 |
दीर्घादटि समानपदे | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.9 |
8.3.90 |
सूत्रं प्रतिष्णातम् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.90 |
8.3.91 |
कपिष्ठलो गोत्रे | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.91 |
8.3.92 |
प्रष्ठोऽग्रगामिनि | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.92 |
8.3.93 |
वृक्षासनयोर्विष्टरः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.93 |
8.3.94 |
छन्दोनाम्नि च | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.94 |
8.3.95 |
गवियुधिभ्यां स्थिरः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.95 |
8.3.96 |
विकुशमिपरिभ्यः स्थलम् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.96 |
8.3.97 |
अम्बाम्बगोभूमिसव्यापद्वित्रिकुशेकुशङ्क्वङ्गुमञ्जिपुञ्जिपरमेबर्हिर्दिव्यग्निभ्यः स्थः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.97 |
8.3.98 |
सुषामादिषु च | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.98 |
8.3.99 |
एति संज्ञायामगात् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.99 |