1.2.1 |
गाङ्कुटादिभ्योऽञ्णिन्ङ् इत् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.1 |
1.2.10 |
हलन्ताच्च | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.10 |
1.2.11 |
लिङ्सिचावात्मनेपदेषु | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.11 |
1.2.12 |
उश्च | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.12 |
1.2.13 |
वा गमः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.13 |
1.2.14 |
हनः सिच् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.14 |
1.2.15 |
यमो गन्धने | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.15 |
1.2.16 |
विभाषोपयमने | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.16 |
1.2.17 |
स्था घ्वोरिच्च | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.17 |
1.2.18 |
न क्त्वा सेट् | |
अतिदेशः, संज्ञा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.18 |
1.2.19 |
निष्ठा शीङ्स्विदिमिदिक्ष्विदिधृषः | |
अतिदेशः, संज्ञा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.19 |
1.2.2 |
विज इट् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.2 |
1.2.20 |
मृषस्तितिक्षायाम् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.20 |
1.2.21 |
उदुपधाद्भावादिकर्मणोरन्यतरस्याम् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.21 |
1.2.22 |
पूङः क्त्वा च | |
अतिदेशः, संज्ञा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.2.22 |