1.1.50 |
स्थानेऽन्तरतमः | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.50 |
1.1.51 |
उरण् रपरः | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.51 |
1.1.52 |
अलोऽन्त्यस्य | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.52 |
1.1.53 |
ङिच्च | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.53 |
1.1.54 |
आदेः परस्य | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.54 |
1.1.55 |
अनेकाल्शित्सर्वस्य | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.55 |
1.1.56 |
स्थानिवदादेशोऽनल्विधौ | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.56 |
1.1.57 |
अचः परस्मिन् पूर्वविधौ | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.57 |
1.1.58 |
न पदान्तद्विर्वचनवरेयलोपस्वरसवर्णानुस्वारदीर्घजश्चर्विधिषु | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.58 |
1.1.59 |
द्विर्वचनेऽचि | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.59 |
1.1.6 |
दीधीवेवीटाम् | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.6 |
1.1.60 |
अदर्शनं लोपः | |
संज्ञा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.60 |
1.1.61 |
प्रत्ययस्य लुक्श्लुलुपः | |
संज्ञा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.61 |
1.1.62 |
प्रत्ययलोपे प्रत्ययलक्षणम् | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.62 |
1.1.63 |
न लुमताऽङ्गस्य | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.1.63 |