8.3.31 |
शि तुक् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.31 |
8.3.32 |
ङमो ह्रस्वादचि ङमुण्नित्यम् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.32 |
8.3.33 |
मय उञो वो वा | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.33 |
8.3.34 |
विसर्जनीयस्य सः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.34 |
8.3.35 |
शर्परे विसर्जनीयः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.35 |
8.3.36 |
वा शरि | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.36 |
8.3.37 |
कुप्वोः XकXपौ च | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.37 |
8.3.38 |
सोऽपदादौ | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.38 |
8.3.39 |
इणः षः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.39 |
8.3.4 |
अनुनासिकात् परोऽनुस्वारः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.4 |
8.3.40 |
नमस्पुरसोर्गत्योः | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.40 |
8.3.41 |
इदुदुपधस्य चाप्रत्ययस्य | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.41 |
8.3.42 |
तिरसोऽन्यतरस्याम् | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.42 |
8.3.43 |
द्विस्त्रिश्चतुरिति कृत्वोऽर्थे | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.43 |
8.3.44 |
इसुसोः सामर्थ्ये | |
अतिदेशः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/8.3.44 |