1.3.11 |
स्वरितेनाधिकारः | |
परिभाषा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.11 |
1.3.12 |
अनुदात्तङित आत्मनेपदम् | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.12 |
1.3.13 |
भावकर्मणोः | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.13 |
1.3.14 |
कर्तरि कर्मव्यतिहारे | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.14 |
1.3.15 |
न गतिहिंसार्थेभ्यः | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.15 |
1.3.16 |
इतरेतरान्योन्योपपदाच्च | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.16 |
1.3.17 |
नेर्विशः | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.17 |
1.3.18 |
परिव्यवेभ्यः क्रियः | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.18 |
1.3.19 |
विपराभ्यां जेः | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.19 |
1.3.2 |
उपदेशेऽजनुनासिक इत् | |
संज्ञा |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.2 |
1.3.20 |
आङो दोऽनास्यविहरणे | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.20 |
1.3.21 |
क्रीडोऽनुसम्परिभ्यश्च | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.21 |
1.3.22 |
समवप्रविभ्यः स्थः | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.22 |
1.3.23 |
प्रकाशनस्थेयाख्ययोश्च | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.23 |
1.3.24 |
उदोऽनूर्द्ध्वकर्मणि | |
विधिः |
https://ashtadhyayi.com/sutraani/1.3.24 |